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स्वामी
श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

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Swami Akhandanandji Saraswati


वर्षा ऋतु में मेघ बिन्दु-बिन्दु कर बरसते हैं, जिस बिन्दु को नदियों का संग मिल जाता है तो वह सिन्धु बन जाता है। जिन बिन्दुओं को नदियों का संग नहीं मिल पाता। वह नष्ट हो जाते हैं। बिन्दु बनना नष्ट होना, यह क्रम अनन्त काल से चल रहा है। चलता ही रहेगा, यही दशा इस तुच्छ जीव की है।
बिन्दु बनकर जन्म लेता है और मर जाता है, किन्दु कई सौभाग्यशाली परमात्मा के कृपापात्रा बिन्दु ऐसे होते हैं जो गंगा जैसी पवित्र नदियों का संग प्राप्त कर पवित्र बनकर आनन्द सिन्धु परमात्मा तक पहुँच जाते हैं ऐसा ही एक कृपापात्र जीव है जिसका नाम श्रवण था (वर्तमान में श्रवणानन्द)। यह एक बिन्दु भारत की पवित्रा भूमि में जहाँ भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण प्रगट हुए, उसी प्रदेश "उत्तर प्रदेश" में कानपुर जनपद में कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में सनातन धर्म में संलग्न माता-पिता द्वारा जन्म लिया। 11-12 वर्ष तक पूज्य जननी-जनक के चरणों में रहकर संस्कार विद्या अध्ययन किया, फिर ईश्वर कृपा से परमसंत श्री राजाराम बाबा की शरण मिली, उनके अनुग्रह से भारत के अनेकानेक संतों का आशीर्वाद मिला एवं संग मिला। पूज्य करपात्री जी महाराज, प्रभुदत्त ब्रक्तचारी जी, संत पथिक जी आदि। पूज्यबाबा जी की कृपा से श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री हंसानन्द सरस्वती जी महाराज की अनेक वर्षों तक सेवा एवं उनसे अध्ययन करने का अवसर मिला। ऋषिकेश Read More

Immortal Thoughts

Gurubani

आहार पवित्र करो मन पवित्र हो जायेगा। व्यवहार मधुर रखो संसार मधुर हो जायेगा।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

संसार तुम्हें छोड़ दे इसके पूर्व अपने मन से तुम संसार को छोड़ दो आनंद से मन भर जायेगा।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

संसार से भागो मत संसार में जागो। जाग जाओगे तो संसार ही मन से भाग जायेगा।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

सुख चाहने वाला व्यक्ति दूसरों के दोष नहीं देखता वह अपना निरीक्षण करके अपना सुधार करता है।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

हमारे दुःख का कारण हमारे अंदर है दूसरों को दोष मत दो। अज्ञान और अभिमान मिटाओ दुःख मिट जायेगा।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ में भगवान का स्मरण करना चाहिए, जिससे कार्य मधुमय हो जायेगा।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

महापुरुषों का संग ईश्वर कृपा से मिलता है, किंतु दुष्ट पुरुषों का संग हम न करें, यह हमारे हाथ में है।

श्री श्रवणानंद सरस्वती जी

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काशनी श्री गुरु शरणानन्दजी महाराज के द्वारा महंत पद पर आसीण करवाते हुए